#VideOScripTTube : {YouTube Technical Video Script Tips and Tricks Tutorial} ■ How To Wrong Clothes Destroy your Life ?
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(00:00) किसी दिन आप फ्रेश फील करते हो और किसी दिन आलस किसी दिन कॉन्फिडेंट और किसी दिन खुद पर डाउट कभी सोचा है कि कैसे कपड़े आपके मेंटल और फिजिकल स्टेट को इन्फ्लुएंस करते हैं कपड़े तो हम बचपन से पहनते आ रहे हैं और हर दिन पहनते हैं लेकिन कभी यह समझने की कोशिश नहीं करते कि इनका हमारे माइंड के साथ क्या कनेक्शन है एक पूरी स्टडी है जिसे कहते हैं एंक्लोज कॉग्निशन मींस कैसे कपड़े हमारे मूड बिहेवियर इमोशंस फोकस हमारी एनर्जी को इंपैक्ट करते हैं तो आज की इस वीडियो में आप यह जानोगे कि कपड़े आपकी सोच को कैसे इन्फ्लुएंस करते हैं कैसे कॉन्फिडेंट ड्रेसिंग की
(00:38) जाती है सात ऐसी टिप्स जिनसे आप अपने लिए सही कपड़े डिसाइड कर पाओगे और यह भी बताऊंगा कि कैसे कपड़े आपकी लाइफ और दुनिया को बर्बाद कर सकते हैं एक इंसान शुरू से तो कपड़े नहीं पहनता था फिर कैसे कपड़े हमारी जिंदगी का पार्ट बने एक लिनन ड्रेस जो कि इजिप्शियन टॉम में मिली है वह 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है उसे तरखान ड्रेस कहते हैं तो तो क्या इसका मतलब ये है कि इंसान ने कपड़े पहनना सिर्फ 5000 साल पहले शुरू किया हिस्टोरियंस के हिसाब से आज से हजारों साल पहले जब आइस एज आई मतलब जब अर्थ का टेंपरेचर कई सालों के लिए डिप किया तब नेड थल्स ने खुद को कवर
(01:14) करना शुरू किया एनिमल स्किन के साथ अब धीरे-धीरे एनिमल स्किन जो है वो रिप्लेस होनी शुरू हुई फैब्रिक के साथ यहां से कपड़े सिर्फ बॉडी कवर करने का टूल नहीं रहे आपका पैसा आपका स्टेटस और आपके काम की पहचान बनना शुरू हो गई कपड़े बताना शुरू हो गए कि कौन किस इलाके से है किस कम्युनिटी से है कौन अमीर है कौन गरीब है आज तो हमारी अलमारी में कई कपड़े होते हैं पर पहले ऐसे नहीं होता था आम इंसान को फैशन से कोई खास मतलब नहीं होता था पर फिर आया इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन स्विंग मशीनस बनी टेक्सटाइल मिल्स बनी अब कपड़े हाथ से नहीं मशीनों से बन रहे हैं अब यह मिल्स और
(01:48) प्रॉफिट तभी करेंगी अगर कम कॉस्ट में लोगों को ज्यादा और नए कपड़े मिलते जाए और यहीं से फैशन करने का फैशन शुरू हुआ अब भारत की बात करें तो वैदिक काल में सिर्फ एक अन स्टिच कपड़ा यूज होता था मेल्स के लिए वोह धोती थी और फीमेल्स के लिए वो साड़ी थी फिर मुगल एरा में स्टिचिंग आई शेरवानी और लहंगे आए फिर ब्रिटिशर्स वेस्टर्न इन्फ्लुएंस लेके आए आजादी के बाद बॉलीवुड ने स्टाइल स्टेटमेंट्स देनी शुरू करी और लोग फॉलो करते गए देवानंद को देखकर हैट पहनी अमिताभ बच्चन ने बेल बॉटम्स पॉपुलर किए ऋषि कपूर ने फ्लोरल शर्ट्स शाहरुख खान ने लेदर जैकेट्स अब हिस्ट्री
(02:22) से आते हैं इंपैक्ट पे दोस्तों 20122 में एक स्टडी आई थी हैज एडम एंड एडम गिलिंस्की के द्वारा उन्होंने टीनएजर्स पे कई एक्सपेरिमेंट्स करें पहले एक्सपेरिमेंट में दो ग्रुप बनाए गए ग्रुप ए को बोला गया लैब कोट पहनने को और ग्रुप बी को स्ट्रीट वेयर दोनों को टेस्ट दिए गए जब रिजल्ट आया तो ग्रुप ए के जो एरर्स थे यानी जिन्होंने लैब कोट पहना था उनके एरर्स लगभग आधे थे पर भाई लोग यहां रुके नहीं उन्होंने एक और एक्सपेरिमेंट किया अब उन्होंने तीन ग्रुप्स को इकट्ठा किया कि हाइट एंड अटेंशन चेक करेंगे एक ग्रुप को बोला गया डॉक्टर्स कोट पहनो दूसरे को बोला गया
(02:55) आर्टिस्टिक पेंटर्स कोट पहनो और तीसरे को बोला गया कि वो टेबल पर रखे डॉक्टर्स कोट को सिर्फ देखें पर इसमें एक कैच था डॉक्टर्स कोट और पेंटर्स कोट सेम ही था फिर इन ग्रुप्स को टास्क दिया गया सिमिलर पिक्चर्स दिखाई गई और बोला गया कि इनमें छोटे-छोटे डिफरेंसेस को स्पॉट करो और रिजल्ट पता है क्या था जिन्होंने डॉक्टर्स कोट पहना था उन्होंने सबसे ज्यादा डिफरेंसेस स्पॉट किए थे जिससे मिला प्रूफ हाइट एंड अटेंशन का मैं बहुत बार स्कूल में यह सोचता था कि यूनिफॉर्म की जरूरत क्या है लेकिन यूनिफॉर्म ने भेदभाव हटाकर हम सबको बराबर किया था एक साथ होने की
(03:28) फीलिंग दी थी जब भारत की सेना का कोई जवान यूनिफॉर्म में नजर आता है तो उसके लिए दिल से रिस्पेक्ट निकलती है इमेजिन करो कि आपकी सर्जरी हो रही है लेकिन सामने हिप हॉप के कपड़े पहनकर सब आपकी बॉडी पे कट लगाने के लिए रेडी है यो ब्रो लेट्स डू इट आपकी वाट लग जाएगी लेकिन वहीं सर्जन के कपड़े पहनकर नर्स के कपड़े पहनकर लोग आपको नजर आ रहे हैं तो आपको भरोसा आएगा तो कपड़ों का डीप इन्फ्लुएंस होता है बिहेवियर एंड माइंडसेट पे जैसे हम लोगों के कपड़ों से उनके बारे में आईडिया लगाते हैं इसी तरह से हमारा ब्रेन भी हमारे कप कपड़ों से सिग्नल लेता है और हमारी
(04:01) फीलिंग्लेस करता है फॉर एग्जांपल ब्राइट कलर मतलब हाई एनर्जी कॉन्फिडेंट डीप कलर डल कलर मतलब लो एनर्जी थके थके से फील कर रहे हैं कुछ लोग अपने कपड़ों से यह बताते हैं कि वो दुनिया के हिसाब से चलते हैं उनके हिसाब से ढलते हैं और कुछ के कपड़े यह बताते हैं कि वो रिबेलियस है अब जो मैं कह रहा हूं ना इसको बहुत ध्यान से सुनना हम कैसा फील कर रहे हैं हम वैसे कपड़े पहनते हैं या ये आपने कई बार एक्सपीरियंस किया होगा अगर हम इसको रिवर्स कर दें हम कैसा फील करना चाहते हैं हम वैसे कपड़े पहने हम जैसा फील करना चाहते हैं हम वैसे कपड़े पहने माइंड व्हाट यू वियर इस बुक के
(04:39) ऑथर प्रोफेसर पाइन ने अपने कुछ स्टूडेंट्स को बोला कि सुपरमैन की ड्रेस में आओ उन्होंने साइंटिफिक ऑब्जर्वेशंस करी कि इस वजह से कई स्टूडेंट्स ने फिजिकली स्ट्रांग फील किया बोल्ड फील किया रेड कलर है पैशन का एनर्जी का ब्लू कलर है कामने का स्टेबिलिटी का कुछ फोकस वाला करना है जिसमें इंटेलिजेंस इवॉल्वड है येलो है ब्राइट कलर है हैप्पीनेस का क्रिएटिविटी का कलर ग्रीन मतलब ग्रोथ बैलेंस तो अगली बार कभी दिन खराब जा रहा हो मूड अच्छा ना लग रहा हो तो कुछ भी पहनने की जगह यह सोचो कैसा फील करना है वैसा पहनो इससे ऐसा नहीं होगा कि आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी
(05:13) लेकिन आप अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करने की बेटर पोजीशन में आ जाओगे ऐसे ही अगर कोई सूट पहने या पावर क्लोथिंग पहने तो उसको ज्यादा कॉन्फिडेंट फील होता है वो ज्यादा अच्छे से नेगोशिएट कर पाता है लेकिन अगर किसी के करीब आना है दोस्ती करनी है तो कंफर्ट क्लोथ्स कैजुअल क्लोथ्स बेटर होते हैं कोई अपनी बॉडी पर काम कर रहा है तो जिम वेयर ज्यादा पहनो एक्टिव वेयर पहनो वर्कआउट करने का मन करेगा हेल्दी खाने का मन करेगा आप ये खुद एक्सपेरिमेंट करके देखना सुबह उठके खुद से पूछो कि आज मैं कैसा फील करना चाहता हूं उसके हिसाब से आप कपड़े चूज करो अब क्या ड्रेसिंग से आप
(05:47) अपने सपनों को भी पूरे कर सकते हो बिल्कुल कर सकते हो सबकॉन्शियस माइंड की ट्रेनिंग में यह सिखाया जाता है कि सिर्फ वो मत पहनो जो आप हो वो पहनो जो आप बनना चाहते हो यस्का भाटिया ने 2008 में मुंबई इंडिया इंस की जर्सी ली और 15 साल बाद जब वमन आईपीएल शुरू हुआ तो व मुंबई इंडियंस का पार्ट बनी बीटल्स के जॉन लेनन अपनी टीनेज में एल्विस प्रेसले जैसे कपड़े पहनते थे मैं खुद जब जॉब करता था तो चाहे बसेस में लटक के जा रहा होता था भाग के शेयरिंग वाले ऑटो को पकड़ता था तब भी कोशिश करता था जब हो सके सूट पहनकर ऑफिस जाऊं ड्रेस फॉर सक्सेस अब कपड़ों की बात कर रहे हैं
(06:22) तो हम अक्सर कंफ्यूज होते हैं कि क्या खरीदें क्या ना खरीदें कैसा खरीदें तो लेट मी हेल्प यू क्योंकि कपड़ों का रोल हम समझते हैं अब आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपका ड्रेसिंग स्टाइल कैसा है क्या है जो आपको अच्छा फील करवाता है क्या है जो आप पे अच्छा लगता है रेखा जी ने कांची वर्म साड़ी को अपना स्टाइल बनाया रणवीर सिंह ने लाउड एंड बोल्ड कपड़ों को मार्क जु कबक ग्रे टीशर्ट्स अगर आप एक कॉन्फिडेंट और अट्रैक्टिव ड्रेसिंग स्टाइल बनाना चाहते हो तो ये सात टिप्स आपके हर रोज काम आएंगी टिप नंबर वन ड्रेस स्मार्ट बट शॉप स्मार्टर मतलब कैप्सूल वाड्रफनगर
(06:59) मैच करके कई कॉमिनेशन बना सकते हैं टा पे कई रील्स आपने ऐसी देखी होंगी फुल ड्रेसी कैसल व्रो फू ड्रेस होलो बस टीशर्ट न p a ई े शूज मल सकर वि ज ज ए पीस यू कन ब रेडी फर एनी ्र प्रिंग और अगर ग्रीन वेंस है तो वर्म टोंस चूज कर सकते हो और अगर न्यूट्रल है तो आप न्यूट्रल कलर चूज कर सकते हो टिप नंबर थ्री मन की शांति के लिए ना ऑर्गेनाइजिंग बहुत जरूरी है आपको पता होना चाहिए आपके पास क्या है और कहां है मैंने कुछ इस तरह के सेक्शंस [संगीत] की कलेक्शन बन जाएगी जिससे आपको पता चलेगा किस तरह के कपड़े किस तरह का स्टाइल आपको ज्यादा पसंद आ रहा है टिप नंबर फाइव सोशल
(08:07) मीडिया पे तो कुछ लोग राशन लेने भी जाते हैं ना तो एकदम महंगे ब्रांड्स पहन कर जाते हैं किसी भी इनफ्लुएंसर को देखकर ऊपर से नीचे ब्रांड्स की दुकान बनना जरूरी नहीं है आप महंगा सस्ता मिक्स भी कर सकते हो जैसे मुझे लगता है कि मेरे शूज कंफर्टेबल होने चाहिए तो मैं महंगे शूज पहनता हूं लेकिन कपड़े मुझे नॉर्मल कुछ भी कॉटन के चलते हैं मेरा शू होगा 10000 का लेकिन टीशर्ट कभी ₹ 6600 कभी हुडी ₹2000000 कॉपी मत करो हम कई बार क्या करते हैं हम देखते हैं दिलजीत दोसांज की ये जो लुक है ना आलिया भट्ट की ये जो लुक है रणवीर सिंह की लुक है हम सोचते हैं कि हम
(08:37) इसको कॉपी करते हैं अब हमें याद रखना होगा कि उनके आसपास फैशन स्टाइलिस्ट हैं उनके पास डिजाइनर्स हैं उनके पास एक बड़ा बैंक बैलेंस है मैगजीन का कवर जब बनता है तो एक अलग दुनिया साथ होती है और हम जब उसको कॉपी करते हैं तो हमारे ऊपर वो चीज वैसी नहीं लगती सो उनके कपड़ों को कॉपी मत करो करना है तो उनकी अप्रोच को समझने की कोशिश करो उनके स्टाइलिस्ट की सोच को समझने ने की कोशिश करो वो आपको हेल्प करेगा टिप नंबर सेवन फिट वर्सेस फैशन हम सब अच्छा दिखना चाहते हैं और रिटेल स्टोर्स या फैशन इंडस्ट्री के लोग हमें ये थॉट देते हैं कि अच्छा दिखने के लिए ना फैशन के ट्रेंड्स
(09:11) को फॉलो करना जरूरी है याद रखना गारमेंट आपका ट्रेंडिंग है ये जरूरी नहीं है लेकिन ज्यादा जरूरी है आपके ऊपर लग कैसा रहा है आपके ऊपर फिट कैसा हो रहा है तो फैशन से ऊपर हमेशा फिट होगा देखो इन टिप्स के अलावा ना कुछ ऐसी चीजें भी है जो हमें पता होनी चाहिए इस हसीन रंगों से भरी दुनिया की की एक डार्क साइड भी है ब्रांड्स नए-नए ट्रेंड्स लाते हैं और कुछ हफ्तों में ये ट्रेंड खत्म हो जाते हैं इससे लोगों में ये फीलिंग आती है कि उनका जो वार्डरोब हैना है वो आउटडेटेड है और नए कपड़े लेने की रिक्वायरमेंट बनती है हर रोज हर दिन इतने ब्रांड स्टोर स्टाइल फैशन हमें हर
(09:46) तरफ से फीड किए जाते हैं कि हम बिना जरूरत के भी कपड़ों पे स्पेंड कर जाते हैं लिमिटेड सेल स्पेशल डिस्काउंट ऑफर एक्सपायर हो रहा है ये सब हमारे फोमो को यानी कि फियर ऑफ मिसिंग आउट को इतना बढ़ा देते हैं कि हमारा जो ब्रेन है है ना वो उस स्टेट पे चले जाता है कि वो यह नहीं सोच पाता कि इस कपड़े का कितना फायदा होगा बल्कि वो यह सोच रहा होता है कि इस टाइम पे मेरा कितना पैसा बचेगा और इस वजह से हम इंपल्स बाइंग कर लेते हैं और इंपल्स बाइंग की वजह से बहुत लोग बहुत पैसा गवाते हैं लोग अपनी कलेक्शन के 20-30 पर कपड़े ही होते हैं जो सच में यूज करते हैं बाकी 70
(10:21) पर उनके काम नहीं आते आपको हैरानी होगी यह जानकर कि हर साल 80 बिलियन क्लोथिंग आर्टिकल बनते हैं मतलब इनकी जगह बना के लिए पुराने कपड़े छोड़े जाते हैं और अगले कुछ सालों में यह नंबर डबल हो जाएगा इस ओवर प्रोडक्शन एंड ओवर कंजप्शन की वजह से फास्ट फैशन दुनिया का सेकंड मोस्ट पोल्यूटिंग इंडस्ट्री है वर्ल्ड वाइड लाइफ फंड की इस वीडियो के हिसाब से एक कॉटन शर्ट बनाने में 2700 लीटर पानी लगता है मतलब एक आदमी जितना ढाई साल में पानी कंज्यूम करता है उतना और 60 पर टेक्सटाइल तो रिसाइकल ही नहीं होता मतलब या तो जलाया जाता है या फिर किसी लैंडफिल में दबाया
(10:57) जाता है अब इस सबका सलूशन यह नहीं है कि हम कपड़े ना खरीदें या टाइम के साथ ना चले बट यह समझे कि फास्ट फैशन के नाम पर ओवर प्रोडक्शन और ओवर सेलिंग करी जा रही है सोच समझ के लिए गए कपड़े आपका पैसा भी बचाएंगे और धरती को भी जो कपड़े हमारे काम के नहीं है उनको हम डोनेट करें सो दैट वो किसी और के काम आए इंपल्स बाइंग या फास्ट फैशन के शिकार ना बने अपनी चॉइसेज को हम खुद कंट्रोल करें इससे हम अपना भी फायदा करेंगे और धरती का भी तो आज हमने उस चीज के बारे में पूरी तरह से समझा जो हमारे हर दिन का हर रोज का पार्ट है इस वीडियो को दूसरों के साथ भी शेयर करना सो दैट वह भी
(11:32) एक कॉन्फिडेंट चॉइसेज कर पाए वह भी कपड़ों की दुनिया को और अच्छे से समझ पाएं और वह भी दूसरों को कपड़े डोनेट कर पाए वह भी कॉन्शियस चॉइसेज के साथ इस दुनिया को इस धरती को बेटर बना पाएं बचा पाए फिर मिलेंगे अगली वीडियो में तब तक खुश रहिए खुशियां बांटते रहिए आई लव यू ऑल
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